( तर्ज - तज दें राह झूठकी ० )
गुरुके नाम दिल जडे ,
उनके कदममें पड़े ॥ टेक ॥
काम - धाम और दुजा ना हमे रह्या ।
जान , मान सब गुरुके पास दे दिया ।
दरपे जायके अडे ।। १ ।।
फिक्र ना घरदारकी कोई हमें रही ।
बस एकही दिदारकी आसा लगी रही
जीवन सत्यसे लडे ॥ २ ॥
गर कोई कहेंगे और , ना खुशी हमें ।
ना गुरुके नाम बिन दुजा दिखे हमें ।
उनके प्रेममें बढे || ३ ||
आख़री यही है के लगे रहे वहाँ ।
ना कभुभी दम सुना चले जहाँ वहाँ ।
तुकड्याको वही बड़े ॥ ४ ॥
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